Holi

होलीकात्यौहाररंगोंकात्योहारहै,यहप्रमुखतासे भारत तथा नेपाल मेंमनायाजाताहै।होली वसंत ऋतुमेंमनायाजानेवालाएकमहत्वपूर्णत्यौहारहै।यह पर्व हिंदू पंचांग केअनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा कोमनायाजाताहै,फाल्गुन माहमेंमनाएजानेकेकारणइसेफाल्गुनीभीकहतेहैं।रंगोंकात्यौहारकहाजानेवालायहपर्वपारंपरिकरूपसेदोदिनमनायाजाताहै।पहले दिनपहलाकामझंडायाडंडागाड़नाहोताहै।इसेकिसीसार्वजनिकस्थलयाघरकेआहातेमेंगाड़ाजाताहै।इसकेपासहीहोलिकाकीअग्निइकट्ठीकीजातीहै।होलीसेकाफ़ीदिनपहलेसेहीयहसबतैयारियाँशुरूहोजातीहैं।पर्वकापहलादिनहोलिकादहनकादिनकहलाताहै।इसदिनचौराहोंपरवजहाँकहींअग्निकेलिएलकड़ीएकत्रकीगईहोतीहै, वहाँहोलीजलाईजातीहै।इसमेंलकड़ियाँऔरउपलेप्रमुखरूपसेहोतेहैं।कईस्थलोंपरहोलिकामें जलानेकीभीपरंपराहै।
भरभोलिएगायकेगोबरसेबनेऐसेउपलेहोतेहैंजिनकेबीचमेंछेदहोताहै।इसछेदमेंमूँजकीरस्सीडालकरमालाबनाईजातीहै।एकमालामेंसातभरभोलिएहोतेहैं।होलीमेंआगलगानेसेपहलेइसमालाकोभाइयोंकेसिरकेऊपरसेसातबारघूमाकरफेंकदियाजाताहै।रातकोहोलिकादहनकेसमययहमालाहोलिकाकेसाथजलादीजातीहै।इसकायहआशयहैकिहोलीकेसाथभाइयोंपरलगीबुरीनज़रभीजलजाए।
लकड़ियोंवउपलोंसेबनीइसहोलीकादोपहरसेहीविधिवतपूजनआरंभहोजाताहै।घरोंमेंबनेपकवानोंकायहाँभोगलगायाजाताहै।दिनढलनेपरज्योतिषियोंद्वारानिकालेमुहूर्तपरहोलीकादहनकियाजाताहै।इसआगमेंनईफसलकी गेहूँ कीबालियोंऔर चने के होले कोभीभूनाजाताहै।होलिकाकादहनसमाजकीसमस्तबुराइयोंकेअंतकाप्रतीकहै।यहबुराइयोंपरअच्छाइयोंकीविजयकासूचकहै।गाँवोंमेंलोगदेरराततकहोलीकेगीतगातेहैंतथानाचतेहैं।
दूसरेदिन, जिसेप्रमुखतःधुलेंडीवधुरड्डी, धुरखेलया धूलिवंदन इसकेअन्यनामहैं, इसदिनलोगरंगोंसेखेलतेहैं।सुबहहोतेहीसबअपनेमित्रोंऔररिश्तेदारोंसेमिलनेनिकलपड़तेहैं।गुलालऔररंगोंसेसबकास्वागतकियाजाताहै।लोगअपनीईर्ष्या-द्वेषकीभावनाभुलाकरप्रेमपूर्वकगलेमिलतेहैंतथाएक-दूसरेकोरंगलगातेहैं।होलीकेदिनघरोंमेंखीर, पूरीऔरपूड़ेआदिविभिन्नव्यंजन(खाद्यपदार्थ) पकाएजातेहैं।इसअवसरपरअनेकमिठाइयाँबनाईजातीहैंजिनमें गुझियों कास्थानअत्यंतमहत्त्वपूर्णहै।बेसनकेसेवऔरदहीबड़ेभीसामान्यरूपसेउत्तरप्रदेशमेंरहनेवालेहरपरिवारमेंबनाएवखिलाएजातेहैं। कांजी, भांग और ठंडाई इसपर्वकेविशेषपेयहोतेहैं।परयेकुछहीलोगोंकोभातेहैं।
होलीकामहत्वभारतीयसमाजकेलिएगहराहैऔरयहएकऐसात्योहारहैजिसेलोगसालभरबेताबीसेइंतजारकरतेहैं।यहत्योहारविभिन्नधार्मिकऔरसांस्कृतिकमान्यताओंकेसाथमिलकरमनायाजाताहै,
होलीसेसम्बन्धितमुख्यकथाकेअनुसारहोलीइनमेंसेसबसेप्रसिद्धकहानीहैप्रह्लादकी।मानाजाताहैकिप्राचीनकालमें हिरण्यकशिपु नामकाएकअत्यंतबलशालीअसुरथा।अपनेबलकेअहंकारमेंवहस्वयंकोहीईश्वरमाननेलगाथा।उसनेअपनेराज्यमेंईश्वरकानामलेनेपरहीपाबंदीलगादीथी।वहसभीकोअपनीपूजाकरनेकोकहताथालेकिनहिरण्यकशिपुकापुत्र प्रह्लाद ईश्वरभक्तथा।हिरण्यकश्यपनेभक्तप्रहलादकोबुलाकररामकानामनजपनेकोकहातोप्रहलादनेस्पष्टरूपसेकहा, पिताजी! परमात्माहीसमर्थहै।प्रत्येककष्टसेपरमात्माहीबचासकताहै।मानवसमर्थनहींहै।यदिकोईभक्तसाधनाकरकेकुछशक्तिपरमात्मासेप्राप्तकरलेताहैतोवहसामान्यव्यक्तियोंमेंतोउत्तमहोजाताहै, परंतु परमात्मा सेउत्तमनहींहोसकता।
प्रह्लादकीईश्वरभक्तिसेक्रुद्धहोकरहिरण्यकशिपुनेउसेअनेककठोरदंडदिए, परंतुउसनेईश्वरकीभक्तिकामार्गनछोड़ा।हिरण्यकशिपुकीबहन होलिका कोवरदानप्राप्तथाकिवहआगमेंभस्मनहींहोसकती।हिरण्यकशिपुनेआदेशदियाकिहोलिकाप्रह्लादकोगोदमेंलेकरआगमेंबैठे।आगमेंबैठनेपरहोलिकातोजलगई, परप्रह्लादबचगया।ईश्वरभक्तप्रह्लादकीयादमेंइसदिनहोलीजलाईजातीहै।[ प्रतीकरूपसेयहभीमानाजाताहैकिप्रह्लादकाअर्थआनन्दहोताहै।वैरऔरउत्पीड़नकीप्रतीकहोलिका (जलानेकीलकड़ी) जलतीहैऔरप्रेमतथाउल्लासकाप्रतीकप्रह्लाद (आनंद) अक्षुण्णरहताहै।
होलिकादहनकीमुख्यकथाप्रह्लादकीकथाकेअतिरिक्तयहपर्वराक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास और कामदेव केपुनर्जन्मसेभीजुड़ाहुआहै।कुछलोगोंकायहभीमाननाहैकिभगवान श्रीकृष्ण नेइसदिन पूतना नामकराक्षसीकावधकियाथा।इसीखु़शीमेंगोपियोंऔरग्वालोंनेरासलीलाकीऔररंगखेलाथा।[
इतिहास
होलीकेपर्वकीतरहइसकीपरंपराएँभीअत्यंतप्राचीनहैंऔरइसकास्वरूपऔरउद्देश्यसमयकेसाथबदलतारहाहै।प्राचीनकालमेंयहविवाहितमहिलाओंद्वारापरिवारकीसुखसमृद्धिकेलिएमनायाजाताथाऔरपूर्णचंद्रकीपूजाकरनेकीपरंपराथी।वैदिककालमेंइसपर्वकोनवात्रैष्टियज्ञकहाजाताथा।उससमयखेतकेअधपकेअन्नकोयज्ञमेंदानकरकेप्रसादलेनेकाविधानसमाजमेंव्याप्तथा।अन्नकोहोलाकहतेहैं, इसीसेइसकानामहोलिकोत्सवपड़ा।भारतीयज्योतिषकेअनुसार चैत्र शुदी प्रतिपदा केदिनसेनववर्षकाभीआरंभमानाजाताहै।इसउत्सवकेबादहीचैत्रमहीनेकाआरंभहोताहै।अतःयहपर्वनवसंवतकाआरंभतथावसंतागमनकाप्रतीकभीहै।इसीदिनप्रथमपुरुष मनु काजन्महुआथा, इसकारणइसेमन्वादितिथिकहतेहैं।
एकअन्यकथाकेअनुसार त्रेतायुग कीशुरुआतमेंभगवनविष्णुजीनेधूलिकावंदनकियाथा।इसलिएहोलीकेइसत्यौहारकोधुलेंडीकेनामसेभीमनायाजाताहै।धुलेंडीहोलीकेअगलेदिनमनायाजाताहैजिसमेंलोगएकदूसरेपरधुलऔर गुलाल लगातेहैंऔरइसेधूलस्नानकहाजाताहै।[19]
इतिहासकारोंकायेभीमाननाहैकिआर्योंमेंभीइसपर्वकाप्रचलनथालेकिनअधिकतरयहपूर्वीभारतमेंहीमनायाजाताथा।इसपर्वकावर्णनअनेकपुरातनधार्मिकपुस्तकोंमेंमिलताहै।इनमेंप्रमुखहैं, जैमिनीकेपूर्वमीमांसा-सूत्रऔरकथागार्ह्य-सूत्र। नारदपुराण औऱ भविष्यपुराण जैसेपुराणोंकीप्राचीनहस्तलिपियोंऔरग्रंथोंमेंभीइसपर्वकाउल्लेखमिलताहै। सुप्रसिद्धमुस्लिमपर्यटक अलबरूनी नेभीअपनेऐतिहासिकयात्रासंस्मरणमेंहोलिकोत्सवकावर्णनकियाहै।
भारतकेअनेकमुस्लिमकवियोंनेअपनीरचनाओंमेंइसबातकाउल्लेखकियाहैकिहोलिकोत्सवकेवलहिंदूहीनहींमुसलमानभीमनातेहैं।सबसेप्रामाणिकइतिहासकीतस्वीरेंहैं मुगलकाल कीऔरइसकालमेंहोलीकेकिस्सेउत्सुकताजगानेवालेहैं। अकबर का जोधाबाई केसाथतथा जहाँगीर का नूरजहाँ केसाथहोलीखेलनेकावर्णनमिलताहै।अलवरसंग्रहालयकेएकचित्रमेंजहाँगीरकोहोलीखेलतेहुएदिखायागयाहै।शाहजहाँ केसमयतकहोलीखेलनेकामुग़लियाअंदाज़हीबदलगयाथा।इतिहासमेंवर्णनहैकिशाहजहाँकेज़मानेमेंहोलीको ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी (रंगोंकीबौछार) कहाजाताथा।अंतिममुगलबादशाह बहादुरशाहज़फ़र केबारेमेंप्रसिद्धहैकिहोलीपरउनकेमंत्रीउन्हेंरंगलगानेजायाकरतेथे।
प्राचीनकालके संस्कृतसाहित्य मेंहोलीकेअनेकरूपोंकाविस्तृतवर्णनहै।श्रीमद्भागवतमहापुराणमेंरसोंकेसमूह रास कावर्णनहै।अन्यरचनाओंमें’रंग’ नामकउत्सवकावर्णनहैजिनमें हर्ष की प्रियदर्शिका व रत्नावली[क] तथा कालिदास की कुमारसंभवम् तथा मालविकाग्निमित्रम् शामिलहैं।कालिदासरचित ऋतुसंहार मेंपूराएकसर्गही’वसन्तोत्सव’ कोअर्पितहै। भारवि, माघ औरअन्यकईसंस्कृतकवियोंनेवसन्तकीखूबचर्चाकीहै। चंदबरदाई द्वारारचितहिंदीकेपहलेमहाकाव्य पृथ्वीराजरासो मेंहोलीकावर्णनहै। भक्तिकाल और रीतिकाल के हिन्दीसाहित्य मेंहोलीऔरफाल्गुनमाहकाविशिष्टमहत्वरहाहै। आदिकालीन कवि विद्यापति सेलेकरभक्तिकालीन सूरदास, रहीम, रसखान, पद्माकर[ख], जायसी, मीराबाई, कबीर औररीतिकालीन बिहारी, केशव, घनानंद आदिअनेककवियोंकोयहविषयप्रियरहाहै।
महाकविसूरदासनेवसन्तएवंहोलीपर78 पदलिखेहैं।पद्माकरनेभीहोलीविषयकप्रचुररचनाएँकीहैं। इसविषयकेमाध्यमसेकवियोंनेजहाँएकओरनितान्तलौकिकनायकनायिकाकेबीचखेलीगईअनुरागऔरप्रीतिकीहोलीकावर्णनकियाहै, वहींराधाकृष्णकेबीचखेलीगईप्रेमऔरछेड़छाड़सेभरीहोलीकेमाध्यमसेसगुणसाकारभक्तिमयप्रेमऔरनिर्गुणनिराकारभक्तिमयप्रेमकानिष्पादनकरडालाहै। सूफ़ीसंत हज़रत निज़ामुद्दीनऔलिया, अमीरखुसरो और बहादुरशाहज़फ़र जैसेमुस्लिमसंप्रदायकापालनकरनेवालेकवियोंनेभीहोलीपरसुंदररचनाएँलिखीहैंजोआजभीजनसामान्यमेंलोकप्रियहैं।
आधुनिकहिंदीकहानियों प्रेमचंद की राजाहरदोल, प्रभुजोशीकी अलगअलगतीलियाँ, तेजेंद्रशर्मा की एकबारफिरहोली, ओमप्रकाशअवस्थीकी होलीमंगलमयहो तथास्वदेशराणाकी होली मेंहोलीकेअलगअलगरूपदेखनेकोमिलतेहैं।भारतीयफ़िल्मोंमेंभीहोलीकेदृश्योंऔरगीतोंकोसुंदरताकेसाथचित्रितकियागयाहै।
भारतकीविभिन्नहोलियाँ
भारतमेंहोलीकाउत्सवअलग-अलगप्रदेशोंमेंभिन्नताकेसाथमनायाजाताहै। बरसाने’ की लठमारहोली फाल्गुनमासकीशुक्लपक्षकीनवमीकोमनाईजातीहैबरसाने’ की लठमारहोली फाल्गुनमासकीशुक्लपक्षकीनवमीकोमनाईजातीहै।इसदिननंदगाँवकेग्वालबालहोलीखेलनेकेलिएराधारानीकेगाँवबरसानेजातेहैंऔरजमकरबरसतीलाठियोंकेसाएमेंहोलीखेलीजातीहै।इसहोलीकोदेखनेकेलिएबड़ीसंख्यामेंदेश-विदेशसेलोग ‘बरसाना’ आतेहैं।[
मथुरासे 54 किलोमीटरदूरकोसीशेरगढ़मार्गपरफालैनगाँवहैजहाँएकअनूठीहोलीहोतीहै।गाँवकाएकपंडामात्रएकअंगोछाशरीरपरधारणकरके२०-२५फुटघेरेवालीविशालहोलीकीधधकतीआगमेंसेनिकलकरअथवाउसेफलांगकरदर्शकोंमेंरोमांचपैदाकरतेहुएप्रह्लादकीयादकोताज़ाकरदेताहै।[8] मालवामेंहोलीकेदिनलोगएकदूसरेपरअंगारेफेंकतेहैं।उनकाविश्वासहैकिइससेहोलिकानामकराक्षसीकाअंतहोजाताहै।राजस्थानमेंहोलीकेअवसरपरतमाशेकीपरंपराहै।इसमेंकिसीनुक्कड़नाटककीशैलीमेंमंचसज्जाकेसाथकलाकारआतेहैंऔरअपनेपारंपरिकहुनरकानृत्यऔरअभिनयसेपरिपूर्णप्रदर्शनकरतेहैं।तमाशाकीविषयवस्तुपौराणिककहानियोंऔरचरित्रोंकेइर्दगिर्दघूमतीहुईइनचरित्रोंकेमाध्यमसेसामाजिकऔरराजनीतिकव्यवस्थापरभीव्यंग्यकरतीहै।
कुमाऊँ की गीतबैठकी में शास्त्रीयसंगीत कीगोष्ठियाँहोतीहैं।यहसबहोलीकेकईदिनोंपहलेशुरूहोजाताहै। हरियाणा कीधुलंडीमेंभाभीद्वारादेवरकोसताएजानेकीप्रथाहै। बंगाल की दोलजात्रा चैतन्यमहाप्रभु केजन्मदिनकेरूपमेंमनाईजातीहै।जलूसनिकलतेहैंऔरगानाबजानाभीसाथरहताहै।
इसकेअतिरिक्त महाराष्ट्र की रंगपंचमी मेंसूखागुलालखेलने, गोवा के शिमगो मेंजलूसनिकालनेकेबादसांस्कृतिककार्यक्रमोंकाआयोजनतथा पंजाब के होलामोहल्ला मेंसिक्खोंद्वाराशक्तिप्रदर्शनकीपरंपराहै। तमिलनाडु की कमनपोडिगई मुख्यरूपसेकामदेवकीकथापरआधारितवसंतोतसवहैजबकि मणिपुर के याओसांगमेंयोंगसांगउसनन्हींझोंपड़ीकानामहैजोपूर्णिमाकेदिनप्रत्येकनगर-ग्राममेंनदीअथवासरोवरकेतटपरबनाईजातीहै।
दक्षिणगुजरातकेआदिवासियोंकेलिए होली सबसेबड़ापर्वहै, छत्तीसगढ़ की होरी मेंलोकगीतोंकीअद्भुतपरंपराहैऔरमध्यप्रदेशकेमालवाअंचलकेआदिवासीइलाकोंमेंबेहदधूमधामसेमनायाजाताहै भगोरियाजोहोलीकाहीएकरूपहै। बिहार का फगुआ जमकरमौजमस्तीकरनेकापर्वहैऔर नेपालकीहोली मेंइसपरधार्मिकवसांस्कृतिकरंगदिखाईदेताहै।इसीप्रकारविभिन्नदेशोंमेंबसेप्रवासियोंतथाधार्मिकसंस्थाओंजैसे इस्कॉन यावृंदावनके बांकेबिहारीमंदिर मेंअलगअलगप्रकारसेहोलीकेशृंगारवउत्सवमनानेकीपरंपराहैजिसमेंअनेकसमानताएँऔरभिन्नताएँहैं।
आधुनिककालमेंहोलीरंगोंकात्योहारहै, हँसी-खुशीकात्योहारहै, लेकिनहोलीकेभीअनेकरूपदेखनेकोमिलतेहैं।प्राकृतिकरंगोंकेस्थानपररासायनिकरंगोंकाप्रचलन, भांग-ठंडाईकीजगहनशेबाजीऔरलोकसंगीतकीजगहफ़िल्मीगानोंकाप्रचलनइसकेकुछआधुनिकरूपहैं। लेकिनइससेहोलीपरगाए-बजाएजानेवालेढोल, मंजीरों, फाग, धमार, चैतीऔरठुमरीकीशानमेंकमीनहींआती।अनेकलोगऐसेहैंजोपारंपरिकसंगीतकीसमझरखतेहैंऔरपर्यावरणकेप्रतिसचेतहैं।इसप्रकारकेलोगऔरसंस्थाएँचंदन, गुलाबजल, टेसूकेफूलोंसेबनाहुआरंगतथाप्राकृतिकरंगोंसेहोलीखेलनेकीपरंपराकोबनाएहुएहैं, साथहीइसकेविकासमेंमहत्वपूर्णयोगदानभीदेरहेहैं। रासायनिकरंगोंकेकुप्रभावोंकीजानकारीहोनेकेबादबहुतसेलोगस्वयंहीप्राकृतिकरंगोंकीओरलौटरहेहैं।
विदेशोंमेंहोली
भारतहीनहींविश्वकेअन्यअनेकदेशोंमेंभीहोलीअथवाहोलीसेमिलते-जुलतेत्योहारमनानेकीपरंपराएँहैं। नेपालमेंहोली केअवसरपरकाठमांडूमेंएकसप्ताहकेलिएप्राचीनदरबारऔरनारायणहिटीदरबारमेंबाँसकास्तम्भगाड़करआधिकारिकरूपसेहोलीकेआगमनकीसूचनादीजातीहै।पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंकाऔरमरिशसमेंभारतीयपरंपराकेअनुरूपहीहोलीमनाईजातीहै।प्रवासीभारतीयजहाँ-जहाँजाकरबसेहैंवहाँवहाँहोलीकीपरंपरापाईजातीहै।कैरिबियाईदेशोंमेंबड़ेधूमधामऔरमौज-मस्तीकेसाथहोलीकात्यौहारमनायाजाताहै।यहाँहोलीकोफगुआकेनामसेजानाजाताहैऔरलोगपरंपरागततरीकेसेइसेमनातेहैं।
फगुआगुआनाऔरसूरीनामकेसबसेमहत्वपूर्णत्यौहारोंमेंएकहोगया।गुआनामेंहोलीकेदिनराष्ट्रीयअवकाशरहताहै।ट्रिनीडाडएंडटोबैगोमेंहोलीकोकाफ़ीकुछउसीतरहसेमनायाजाताहै, जैसेभारतमेंमनायाजाताहै।हालकेवर्षोंमेंइसकीरौनकमेंवृद्धिहुईहै। विदेशीविश्वविद्यालयोंमेंभीहोलीकाआयोजनहोतारहाहै।विलबरफ़ोर्डकेस्टैनफ़ोर्डयूनिवर्सिटीकैंपसपरहोलीमनायाजाताहैं। इसीप्रकाररिचमंडहिल्समेंहोलीमनायाजाताहैं।

By: Mr. Naveen Pathak (Deputy Manager – GSD)

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